• ज़ख़्म की दास्ताँ
    Jun 7 2021

    जब हमारे ज़ख़्म एक से हों और हमारे दर्द की दास्तानें भी तो मरहम लगाने में इतनी झिझक सी क्यों उठती है ज़ेहन में ? इस कविता को सुनने के बाद खुद से ये सवाल ज़रूर कीजिएगा क्यूंकि इसका जवाब आपके अंदर ही घर करके बैठा है जिसे बस थोड़ी मोहब्बत की ज़रूरत है और शायद थोड़े मरहम की भी |

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  • आइना
    Jun 7 2021

    एक आइना ही तो है जो सब सच बताता है, हमारे और आपके असली रूप को पहचानता है |

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  • परदेसियों का इश्क़
    Jun 7 2021

    इश्क़ की कोई परिभाषा नहीं होती, और ज़रूरी तो नहीं जो इश्क़ मुक्कमल न हुआ हो वो इश्क़ नहीं ? इस कविता में दो परदेसियों के इश्क़ की दास्ताँ मौजूद है जो अपने इश्क़ को दुनिआ को समझाना चाहते हैं | आइए और जानते है उनका क्या कहना है |

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  • कहानी ईमारत की
    Jun 7 2021

    कुछ इमारतें जो बंज़र हो जाया करती हैं ज़रूरी नहीं की उनकी कहानियां भी बंज़र हो |

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  • फुर्सत के वो दिन
    Jun 7 2021

    इस ज़िन्दगी की भाग दौड़ में दिल की बस एक ही आरज़ू होती है फुरसत के दिन जो इस कविता के द्वारा उल्लेखित की गई है |

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