बाइबल सार

By: Initiative.Global
  • Summary

  • बाइबल सार© की संपूर्ण सामग्री बाइबल से लिए गए अंश हैं, जो बाइबल का एक एकीकृत कहानी के रूप में सारांश प्रदान करते हैं और यह सारांश यीशु मसीहा — सृष्टिकर्ता, उद्धारकर्ता, न्यायी, और राजा की ओर ले जाता है। बाइबल सार ऑडियो संस्करण℗ की रचना और इसका वितरण Initiative.Global द्वारा किया जाता है। बाइबल सार ऑडियो संस्करण℗ Copyright ℗ 2024 by Initiative.Global पवित्रशास्त्र के उद्धरण Copyright © 2004 by Initiative.Global
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Episodes
  • भूमिका
    Oct 29 2024

    भूमिका

    “बाइबल सार” नामक इस पुस्तक की सम्पूर्ण विषय-वस्तुएँ पवित्रशास्त्र ‘बाइबल’ से ली गई हैं; अर्थात् यह अपने आप संक्षिप्‍‍त रूप में बाइबल ही है। इसे उन लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जो बाइबल से अनजान हैं और इस में बाइबल के मुख्य सन्देश को उनके लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है जो मसीही विश्‍वास की मुख्य बातों को अच्छी तरह जानने की इच्छा रखते हैं। बाइबल की विषय वस्तु यीशु पर तथा परमेश्‍वर के आने वाले साम्राज्य के रहस्य पर केन्द्रित है। इसी यीशु को मसीही लोग अभिषिक्‍त मसीह मानते हैं जिसके विषय में प्राचीन काल से ही भविष्यवाणियाँ की गई थीं। बाइबल के सन्देश को अच्छी तरह समझने के लिए, जैसा कि यीशु ने कहा, इसे एक बच्‍‍चे के समान विनम्र भाव से पढ़ना आवश्यक है। यदि कोई परमेश्‍वर के वचन को इस रूप में पढ़ेगा कि मानो वह छिपे हुए खज़ाने की खोज कर रहा हो, तो निश्‍चित है कि वह बाइबल के इस वचन को अपने जीवन में सत्य सिद्ध होता हुआ देखेगा कि—“तुम्हारे लिए आवश्यक नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए।” जब आप इस पुस्तक को पढ़ चुके होंगे, तो हम चाहेंगे कि आप बाइबल की एक प्रति अवश्य मंगवा लें और उसे पढ़ें। “सम्पूर्ण पवित्रशास्‍त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखा गया है और शिक्षा देने में, समझाने में, सुधारने में और धार्मिकता के लिए अनुशासित करने में लाभदायक है।” 2 तीमु 3:16

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  • बाइबल
    Oct 29 2024
    बाइबल पवित्रशास्त्र ‘बाइबल’ के दो मुख्य भाग हैं जिन्हें “पुराना नियम” और “नया नियम” कहते हैं। इस नियम शब्द का अर्थ है—घोषणा या वचनबद्ध होना और कभी-कभी इसका अर्थ वसीयत भी होता है। यहाँ इस शब्द का अर्थ वचनबद्ध होने से है, यानि यह एक प्रतिज्ञा है जिसके द्वारा परमेश्‍वर ने मनुष्य जाति के साथ अपने आपको वचनबद्ध किया है। परमेश्‍वर द्वारा हमारे उद्धार के लिए की गई प्रतिज्ञा यीशु मसीह की क्रूस पर हुई मृत्यु पर आधारित है; नि:संदेह इसी प्रतिज्ञा के अनुसार परमेश्‍वर ने हमें यीशु के द्वारा बचा लिया है और हमें अपने स्वर्गीय राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया है। मसीह पर विश्‍वास रखने वालों को यह निश्‍चय है कि यीशु मसीह की क्रूस पर हुई मृत्यु के द्वारा समस्त मनुष्य जाति के पाप सदा के लिए मिटा दिए गए हैं—यीशु, परमेश्‍वर का पुत्र, जिसने इस धरती पर आज से लगभग दो हज़ार साल पहले जन्म लिया था, उसने अपने आपको उस दण्ड के लिए दे दिया जो पापी मनुष्य को मिलना था। इसका अर्थ यह है कि हमारे पापों को क्षमा किया जा सकता है, और यह कि हम परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास कर सकते हैं, अर्थात् उस अद्भुत समाचार पर कि हम उस अनन्त जीवन को प्राप्त कर सकते हैं जो परमेश्वर हमें प्रदान करता है। इस प्रतिज्ञा का शुभ-समाचार ही बाइबल संदेश का केंद्र बिन्दु है। यीशु के जन्म से पहले जो नियम लिखा गया है उसे “पुराना नियम” और यीशु के बाद लिखे गए नियम को “नया नियम” कहते हैं। “पुराना नियम” यहूदी राष्ट्र पर केन्द्रित है, जिसे ईस्वी पूर्व 1500 से 400 के बीच अलग-अलग लेखकों ने लिखा, और इसमें 39 पुस्तकें हैं जिनमें उनका इतिहास, क़ानून, भविष्यवाणियाँ, कविताएँ और भजन मिलते हैं। परमेश्‍वर के नए राज्य और यीशु मसीह के आगमन के सन्देश को कई भविष्यवाणियों में बार-बार दुहराया गया है। “नया नियम” इस सच्‍‍चाई को स्पष्‍‍ट करता है कि मसीह के बारे में भविष्यवाणियाँ यीशु में कैसे पूरी हुईं, और साथ ही वह उद्धार के बारे बताता है। “नए नियम” को ईस्वी सन् 30 से 90 के यीशु मसीह के शिष्यों ने लिखा। इसका आरम्भ उन चार पुस्तकों से होता है, जिन्हें सुसमाचार कहते हैं—इनमें यीशु मसीह के जीवन का लघु इतिहास है; “नए नियम” में मसीही विश्‍वासियों के नाम 21 पत्र आदि भी हैं, इस तरह इसमें कुल 27 पुस्तकें हैं। ...
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    3 mins
  • अध्याय – 1 आरम्भ में
    Oct 29 2024

    अध्याय – 1 आरम्भ में

    इस दुनिया की जटिलता और इसका जीवन हमें आश्‍चर्य में डाल देता है। इसका आरम्भ कैसे हुआ? मनुष्य की सृष्‍टि कैसे और क्यों हुई? किस तरह मानव-जाति ने अपने सृष्‍टिकर्त्ता परमेश्‍वर की बात नहीं मानी और उससे विद्रोह किया? और उसके पाप के कारण परमेश्‍वर की ओर से मृत्यु का भयानक श्राप कैसे उसके ऊपर आया? इन सब का उत्तर बाइबल में हमें मिलता है। साथ ही बाइबल हमें यह भी बताती है कि हमारे पाप के कारण, जन्म से ही हमारे ऊपर मृत्यु की छाया मण्डराने लगती है और इसी के साथ हम जीते हैं। हमारे पास न तो कोई आशा है, न हमेशा तक रहनेवाला सच्‍‍चा आनन्द है और न ही सच्‍‍ची शान्ति, बस मृत्यु ही हमारी प्रतीक्षा कर रही है। चाहे हम निर्धन हों या धनवान, निर्बल हों या बलवान, बन्दी हों या स्वतन्त्र, रोगी हों या स्वस्थ, एक दिन तो हम सभी को मरना ही है और वह भी शीघ्र, और फिर, बाइबल बताती है कि हमें अपने सृष्‍टिकर्त्ता के सामने खड़े होकर बताना पड़ेगा कि आखिर क्यों हमने उसकी और उसके पवित्र नियमों की अनदेखी की। जी हाँ, परमेश्‍वर हमारे नहीं बल्कि अपने नियमों के अनुसार हमारा न्याय करेगा। न तो किसी धर्म ने, न ही किसी दर्शन ने, और न ही दुनिया के इतिहास में किसी व्यक्‍ति ने, इस भयानक श्राप से बचने का रास्ता दिखाया। रास्ता किसी ने दिखाया... तो वह है—बाइबल।

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    14 mins

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