
"श्री भगवद गीता | भगवान श्रीकृष्ण का सौम्य रूप – अर्जुन को सांत्वना | अध्याय 11 श्लोक 50 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 50"
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📜 Description:
"॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 50 ॥"
🔹 संस्कृत श्लोक:
सञ्जय उवाच |
"इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा
स्वकं रूपं दर्शयामास भूय: |
आश्वासयामास च भीतमेनं
भूत्वा पुन: सौम्यवपुर्महात्मा || 50||"
🔹 श्लोक अर्थ:
संजय कहते हैं:
"इस प्रकार वासुदेव श्रीकृष्ण ने अर्जुन से बातें करने के बाद,
फिर से अपना दिव्य रूप प्रकट किया।
डरे हुए अर्जुन को सांत्वना देते हुए,
वे पुनः अपने सौम्य (मधुर और शांत) रूप में आ गए।"
🔹 व्याख्या:
इस श्लोक में संजय, धृतराष्ट्र को बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना विराट रूप त्यागकर फिर से अपने सामान्य रूप में लौट आए।
यह देखकर अर्जुन को शांति और संतोष प्राप्त हुआ।
📌 महत्वपूर्ण संदेश:
- भगवान अपने भक्तों को भय में नहीं रखना चाहते।
- वे विराट और सौम्य दोनों रूपों में उपस्थित हैं, लेकिन भक्तों के लिए वे सदा कृपालु ही रहते हैं।
- जब हम अपने जीवन में संघर्षों से घबराते हैं, तब हमें भगवान की भक्ति से शांति प्राप्त करनी चाहिए।
🌿 यह श्लोक हमें सिखाता है कि ईश्वर केवल शक्ति और वैभव के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि प्रेम और करुणा के भी मूर्तरूप हैं।
📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शांति दें।
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🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"