• ईद उल-फ़िकर, अनुभव का अचार और 'मर्डर कूपन' का इस्तेमाल! : तीन ताल, S2 E95

  • Mar 15 2025
  • Length: 2 hrs and 25 mins
  • Podcast

ईद उल-फ़िकर, अनुभव का अचार और 'मर्डर कूपन' का इस्तेमाल! : तीन ताल, S2 E95

  • Summary

  • - होली के जोगीरे और ताऊ की कविता

    - 'मोमिनों रोज़े रखो' जैसे आधुनिक त्योहारी गीत

    - होली की बदमाशी, आलस और मता जाने की क्रिया

    - लउआ अलंकार, होली की थकान और बेहोशी

    - बजुर्गों की विसडम और सिखावन

    - लठ मार लॉजिक और फ्री का फ़लसफा

    - 'जाने दो' की उदारता

    - लोक का विसडम और आंखों की शर्म

    - मर्डर कूपन का सही इस्तेमाल करने 'इस्तेमाल' हो जाने की कल्पना

    - खां चा के अतरंगी खयाल और जेन ज़ी जोगीरे

    - चिट्ठियां

    प्रड्यूसर : अतुल तिवारी
    साउंड मिक्स : सूरज
    Show more Show less
adbl_web_global_use_to_activate_webcro768_stickypopup

What listeners say about ईद उल-फ़िकर, अनुभव का अचार और 'मर्डर कूपन' का इस्तेमाल! : तीन ताल, S2 E95

Average customer ratings

Reviews - Please select the tabs below to change the source of reviews.