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  • हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं
    Feb 21 2025
    कातिलाना है चाहत तेरी
    आ बसा दे तू जन्नत मेरी
    तेरे बिन जियूं ना मरूं...
    हां हां मैं,तुम से ही प्यार करुं
    तू मिला है तो,खुशियां मिल गयी
    रब से हम को इजाजत मिल गयी
    पलकों पर तुम को रखूं...
    हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं

    जब से तुम से ये आंख है मिल गयी
    रातों की सारी नींद भी उड़ गयी
    सपनों में तुम को देखूं....
    हां हां मैं,तुम से ही प्यार करूं
    तूझ में बसती है दुनिया मेरी
    तू हकीकत,या सपना कोई
    सजदा मैं खुद को करुं...
    हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं

    कातिलाना है चाहत तेरी
    आ बसा दें तू जन्नत मेरी
    तेरे बिन जियूं ना मरूं...
    हां हां मैं,तुम से ही प्यार करुं
    हां हां मैं,तुम से ही प्यार करुं...
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    1 min
  • मैं सोचती हूँ
    Aug 20 2024
    मैं सोचती हूँ,
    अगर ये इश्क ही ना होता, तो क्या होता?
    ये गुलाब, ये खत, ये तस्वीरों की क्या कीमत होती?
    ये गुलाब बस एक फूल होता,
    ये खत सिर्फ कागज होते,
    ये तस्वीरें बेजान होतीं।
    मैं सोचती हूँ,
    अगर ये इश्क ही ना होता, तो क्या होता?

    ना होता बारिशों का इंतज़ार,
    ना होता बातों का इकरार,
    ना आँखों से बातें होतीं,
    ना विरह में बिताई गई वो रातें होतीं।
    लाल रंग भी फिर सिर्फ एक रंग होता,
    मैं सोचती हूँ,
    अगर ये इश्क ही ना होता, तो क्या होता?
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    1 min
  • मेरा वतन
    Mar 22 2024
    Name - suhana rajput
    Class - 7
    School - Air force school kanpur cantt
    Address - Balurghat , Shuklaganj ,
    Unnao , Uttar Pradesh , India
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    Less than 1 minute
  • मन में आशा जगाना
    Jan 8 2024
    मन को हताश करना बहुत आसान है
    इस मन में आशा जगाना बहुत मुश्किल है
    जब हम इस मन में आशा जगाते हैं
    हर वो चीज़ मिल जाती है
    जिसके बारे में हम सपने देखते हैं ।

    ~ डॉ मीरा सिंह
    पुणे, महाराष्ट्र
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    Less than 1 minute
  • तू खुद को कर साबित साबित
    Oct 29 2023
    अपने दिल की कभी सुन ले जरा
    कुछ करना है तो सोच बड़ा
    उड़ जा तू परिंदे आसमानों में
    अपने सपनों के पंखों तले

    है तेरी जमी ये आसमां तू बन जा इसका हौसला
    रुक ना इन टेढ़ी राहों से चट्टानों पर भी चलता जा

    तू खुद को कर साबित साबित
    तू खुद को कर साबित साबित
    तो एक दिन मिल जायेगी मंजिल
    तू खुद को कर साबित साबित

    अंगारों पर चलने के वासते
    तेरा हर करम हो वतन हो के वासते
    ना सुन लें कभी दुनिया की बातों को
    दे तू ये फैसला तेरे खुद के हाथों को

    ये दिन भी तेरा ये रात तेरी जज्बातों से रख बात तेरी
    कर पार तू हर एक राह तेरी फिर मुश्किल हो आसान तेरी

    तू खुद को कर साबित साबित
    तू खुद को कर साबित साबित
    तो एक दिन मिल जायेगी मंजिल
    तू खुद को कर साबित साबित
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    2 mins
  • इस बार खुद को सुंदर पाया है
    Jul 2 2023
    इस बार खुद को सुंदर पाया है

    नाक में नथनी
    गले में प्यारा सा हार पाया है
    जिस में छुपे एक नन्हे से शीशे ने चेहरे का नूर बताया है
    इस बार खुद को सुंदर पाया है।

    कंधे जितने बाल मुस्कुरा रहे हैं आज
    माथे पर छोटी सी बिंदिया शायद उड़ा रही है लाखों की निंदिया बिना किसी छुअन के चेहरे पर कोई चमक लाया है
    इस बार खुद को सुंदर पाया है।

    शांति से भंग मेरे कंगन कई घुंगरू से भरे हैं
    लगता है जैसे सुनी कलाई पर सरगम बन के मिले हैं
    इन कंगनों के इंतजार ने मेरी कलाइयों को खूब तड़पाया है
    इस बार खुद को सुंदर पाया है

    आज नीले रंग के कुर्ते को लाल आंचल से सजाया है
    कई अरसों बाद ही सही पर अपने पन का एहसास आया है
    इस बार घर की याद को इन कपड़ों ने भगाया है
    इस बार खुद को सुंदर पाया है

    इस बार दिए की ज्योत ने मेरे मन में एक दीप जलाया है
    जैसे खुद को खुद से मिलाया है इस बार चेहरे की चमक ने आंखों को मुस्कुराना सिखाया है
    वैसे ही जैसे खुलती जुल्फों ने जीने का तरीका बताया है
    इस बार खुद को पहले से भी ज्यादा सुंदर पाया है
    क्योंकि डर से जीत आत्मा विश्वास का दीप जलाया है
    इस बार खुद को सुंदर पाया है।।
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    2 mins
  • मैं शिक्षक हूं
    Mar 15 2023
    मैं शिक्षक हूँ

    सवाल फिर वही था, पर मैं जवाब नया बताता हूँ l
    कौन हूँ, मैं क्या करता हूँ, कविता के ज़रिये सुनाता हूँ∥

    सुन्दर सी इक बगिया है और मैं हूँ उसका बाग़बान l
    जहाँ नन्हे पौधे फल-फूलकर बनते इक दिन वृक्ष महान∥

    मेरा काम है इन नन्हे परिंदों के परों में जान भरना l
    ताकि वो सीख पाएं अपने हौसलों की उड़ान भरना∥

    इनके सपनों की ज़मीं को मंज़िल के आसमां से जोड़ता हूँ l
    सुनहरे कल के सृजन हेतु मैं अपना पुरुषार्थ निचोड़ता हूँ∥

    इन कच्चे घड़ों को अपने ज्ञान-तप से पकाता हूँ l
    इसलिए शिल्पी शिल्पकार जैसे नामों से पुकारा जाता हूँ∥

    कलम, किताब, चॉक और बालक, इन्हीं से मेरी पहचान है l
    अध्यापन है मेरा पेशा और मुझे इस पर अभिमान है∥

    तराश कर हुनर इनके, मैं इन्हे क़ाबिल बनाता हूँ l
    मैं एक शिक्षक हूँ जनाब और बच्चों को पढ़ाता हूँ∥

    ज्ञान और विवेक से मैं इनके भविष्य गढ़ता हूँ l
    अपने उत्तम अध्यापन हेतु स्वयं घंटों तक पढता हूँ∥

    प्रलय और सृजन का बीज मेरी गोद में पलता है l
    मैं विशिष्ट कृति हूँ विधाता की, मेरे पीछे ज़माना चलता है∥

    जो बीच राह मैं भटक गए मैं उन्हें राह दिखलाता हूँ l
    मैं शिक्षक, गुरु, मैं मार्गदर्शक, मैं ही राष्ट्रनिर्माता हूँ∥

    ये महज़ पेशा नहीं, सेवा है, जिसको हमने अपनाया है l
    बड़ी ख़ुशी से इस ज़िम्मेदारी को हमने गले लगाया है∥

    आओ मिल संकल्प करें कि हम अपना फ़र्ज़ निभाएंगे l
    अपने प्यारे भारतवर्ष को फिर विश्वगुरु बनाएंगे∥
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    3 mins
  • कभी बहरी, कभी गूंगी, कभी अंधी ..
    Jan 11 2023
    हाँ बनती है ना कभी बहरी ,
    कभी गूंगी ,कभी अंधी

    स्त्री है ना जानती है जोड़ कर
    रखने जो हैं धागे उन्हें एक माला में

    डरती भी है! दहल जाता है दिल
    जब सुनती है ऊंचे स्वर की बातें

    मूक रह जाती है ,अनदेखा करती है जाने कितनी बातें
    क्यूंकि उन्हें पता है मोती बिखर जाते हैं माला से

    अगर उलझ गये जो इसके धागे
    तभी तो मुस्कुराती है ,उड़ाती है हर गुब्बार को

    क्यूंकि रिश्तों को जोड़े रखने में
    हाँ बनना पड़ता है कभी-कभी अंधा, बहरा ,गूंगा |
    ----एकता कोचर रेलन
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    1 min
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