This Nazm of Nazeer Akbarabadi is one of the finest written by him among so many Nazms he penned down on the ocassion of Diwali, I simply loved it, sharing with you with Joy, Enthusiasm and Love
I wish you would Love the presentation, the sher (couplet) that has made this Nazm so popular is
मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई
बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई
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In this series of Tyohar we Celebrate the Festivals in the language of other poet or the poetry written by me, Nauushad Muntazir, its my longing Love for the Festival expressed in poetry and I recite and feel each and every word penned down.
If you have any poetry, you want me to recite, please mention in the comment box. If possible, for me, I would surely put my emotions into it.
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Nazm: Diwali
Poet : Nazeer Akbarabadi Sahab
Reciter : NauushadMuntazir
-नौशाद मुन्तज़िर/نوشاد منتظر ®
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हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का
हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का
सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का
किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दिवाली का
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का
जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार
किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार
खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार
हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार
सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का
मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई
बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई
गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का
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