📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूप दर्शन योग) - श्लोक 1
🕉 अर्जुन बोले:
"हे भगवान! आपकी कृपा से आपने जो मुझे परम गोपनीय आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया है, उसके द्वारा मेरा यह मोह नष्ट हो गया है।"
इस श्लोक में अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण का आभार व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि उनके द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान ने अर्जुन के मन से मोह और भ्रम को समाप्त कर दिया। यह ज्ञान अत्यंत गुप्त और दुर्लभ है, जिसे केवल सच्चे भक्त और योगी ही प्राप्त कर सकते हैं।
🔹 मुख्य बिंदु:
✔️ भगवान की कृपा से ही सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है।
✔️ आध्यात्मिक ज्ञान सभी मोह और संशय को दूर कर देता है।
✔️ जब व्यक्ति सत्य को पहचान लेता है, तो वह अपने कर्तव्य को सही रूप से समझ सकता है।
🙏 गीता का यह श्लोक हमें सिखाता है कि जब हम सच्चे ज्ञान को प्राप्त कर लेते हैं, तब हमारे सभी संदेह और मोह समाप्त हो जाते हैं।
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